Sunday, 15 December 2013

आकाश की गहराई
डूब जाती है
ख़ुद के ही
शून्य मेँ

चहलकदमी करती
उसकी सीमाएँ
स्थानांतरित होती हर बार

¤¤ निशा चौधरी ।

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