अमावस का बहाना क्योँ बनाया चाँद मेरे...... पता है मुझको इन सर्द रातोँ मेँ तुम्हारा भी निकलना होता होगा मुश्किल ख़ैर छोड़ो..... मैँ भी कहाँ बैलकनी मेँ आई थी हाँ पर झाँका ज़रुर था एक बार कि सुना है दिल से निकली आवाज़ दिल तक पहुँचती है..... ॰॰॰॰ निशा चौधरी । |
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